आयुर्वेदिक क्षार

आयुर्वेदिक क्षार (Ayurvedic Kshara) एक प्रकार का आयुर्वेदिक चिकित्सा पदार्थ है, जो पौधों से प्राप्त क्षार (alkaline substances) का उपयोग करके रोगों के इलाज में उपयोगी होता है। इन क्षारों के अलग-अलग प्रकार राई, सर्दा, बिदंग, आर्द्रक, अपामार्ग, तुवरक, आर्क, द्विज क्षार, नाग केशर आदि हो सकते हैं। यह आयुर्वेदिक चिकित्सा में विशेष रूप से पाचक रोगों, गुदा रोगों, पाइल्स (हेमोरोइड्स), फिस्चुला (Fistula-in-ano), भगंदर (Fistula-in-ano), विभद्रक (Anal fissures), वातरोग (Fistula-in-ano), भगंदर आदि रोगों के उपचार में उपयोगी होता है।

आयुर्वेद में इन क्षारों का इस्तेमाल शल्य चिकित्सा के अंग में किया जाता है और यह प्रोसेडर विशेषज्ञ वैद्य द्वारा किया जाता है। क्षारों को बनाने के लिए निम्नलिखित तरीके अनुसरण किए जाते हैं:

1. राई क्षार: इसमें राई (मस्टर्ड) के बीजों से बना क्षार होता है।

2. सर्दा क्षार: इसे खर कहा जाता है, और इसमें बोरैक्स (Borax) नामक पदार्थ का उपयोग किया जाता है।

3. बिदंग क्षार: इसे बिदंग वृक्ष (Butea monosperma) के वनस्पति से प्राप्त किया जाता है।

4. अपामार्ग क्षार: इसे अपामार्ग प्लांट (Achyranthes aspera) के पत्तियों से बनाया जाता है।

5. आर्द्रक क्षार: इसमें आर्द्रक (अदरक, जिंजर) का उपयोग किया जाता है।

क्षार को संयमित रूप से और विशेषज्ञ वैद्य के परामर्श से ही उपयोग करना चाहिए, क्योंकि इसका अधिक मात्रा में उपयोग होना आपके स्वास्थ्य को खराब कर सकता है। इसलिए, अपने आयुर्वेद चिकित्सक से संपर्क करके ही किसी भी क्षार का उपयोग करें।

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