स्वायंभुव गुग्गुल swayambhuva guggul

kanchan kumar
swayambhuva guggul use and benefits
0 0
Read Time:5 Minute, 10 Second

स्वायंभुव गुग्गुल swayambhuva guggul यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जो पूरी तरह से हर्बल है । आयुर्वेद शास्त्र भाव प्रकाश मध्यम खंड{ कुष्ठ रोग के अनुसार] कुष्ठ रोग की सबसे श्रेष्ठ दवा के रूप में माना गया है । खास करके सफेद दाग जिसे आयुर्वेद में श्वित्र नाम से जाना जाता है । सफेद दाग के लिए उपयोग किए जाने वाली गूगल कल्पना आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा प्रयोग में लाई जाती है । इस औषधि में गोमूत्र का प्रयोग किया जाता है । गूगल के शोधन में गोमूत्र से शोधन की प्रक्रिया अपनाई जाती है । इस वजह से सफेद के लिए उत्तम दवा के रूप में कार्य करती है । इस औषधि में बाकूची और गूगल का मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है ।

स्वायंभुव गुग्गुल के घटक द्रव्य swayambhuva guggul ingredients

टेबलेट के रूप में मिलने वाली दवा में-

  1. बाकुची 5 भाग
  2. खदिर एक भाग
  3. निशोत्तर एक भाग
  4. गिलोय एक भाग
  5. दंती मूल एक भाग
  6. मुंडीतिका पुष्प 2 भाग
  7. मुस्ता एक भाग
  8. हरितकी 1 भाग
  9. विभितकी एक भाग
  10. कुटज छाल
  11. करंज के पत्ते
  12. निम्ब
  13. विडंग एक भाग
  14. आमलकी एक भाग
  15. हरिद्रा[हल्दी] एक साथ
  16. शुद्ध गुग्गुल 10 भाग [ गाय के मूत्र से सूचित]
  17. चित्रक मूल एक भाग
  18. आरग्वध एक भाग
  19. स्वर्ण माक्षिक भस्म 3 भाग
  20. शोधित शिलाजतु 5 भाग
  21. लोहा भस्म 2 भाग

स्वायंभुव गुग्गुल के उपयोग एवं फायदे swayambhuva guggul use and benefits

  1. सफेद दाग के लिए मुख्य रूप से इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
  2. त्वचा के पुराने एवं जटिल रोगों के लिए भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
  3. त्वचा के वह सभी रोग जिनसे स्त्राव आता हो ।
  4. शरीर में होने वाली खुजली के लिए भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
  5. मुख पर होने वाली फोड़ा फुंसियों तथा मुहांसों के लिए भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
  6. डायबिटीज के रोगी जिन्हें घाव सूखने में देरी होती है । उनके लिए भी यह औषधि प्रयोग में लाई जाती है ।
  7. पुराना गठिया रोग [ वात रक्त के लिए] भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
  8. बच्चों में होने वाला पामा रोग में भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।

स्वायंभुव गुग्गुल swayambhuva guggul के सेवन से पूर्व विशेष सावधानी-

स्वायंभुव गुग्गुल में बाकूची यह उष्ण वीर्य का द्रव्य होने के कारण पित्त प्रकृति वाले तथा पित्तज विकार वाले बिना चिकित्सक की सलाह के सेवन न करें ।

स्वायंभुव गुग्गुल की सेवन मात्रा swayambhuva guggul dose

2 से 4 गोली दिन में दो से तीन बार आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें । रोगी के अनुसार तथा बल के अनुसार सेवन करें ।

स्वायंभुव गुग्गुल swayambhuva guggul में अनुपान

गुनगुना पानी, गोमूत्र , शहद , खदिरारिष्ट, महामंजिष्ठादि काढ़ा के साथ रोग के अनुसार चिकित्सक के निर्देशन में सेवन करें ।

स्वायंभुव गुग्गुल swayambhuva guggulकहां से खरीदें-

आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर औषधि टेबलेट में उपलब्ध होती है । बहुत सारी आयुर्वेदिक इसका निर्माण करती है ।

सावधानी-

  • पित्त प्रक्रति एवं पित्त विकार वाले रोगियों में सावधानी से प्रयोग करे !
  • औषधि को स्वच्छ एवं स्वच्छ स्थान पर रखें ।
  • औषधि का प्रयोग चिकित्सक के निर्देशानुसार की करें ।
  • बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।

चेतावनी- यहां पर उपलब्ध करवाई गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व अधिकृत आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह अवश्य ले ।

[ और पढ़ें..त्रिफला गुग्गुल का उपयोग…….]

[ और पढ़ें….सिंहनाद गुग्गुल का उपयोग…..]

[ और पढ़ें…..लाक्षादि गुग्गुल….]

Happy
Happy
100 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
Leave a comment

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

प्रातिक्रिया दे

Translate »