गोक्षुरादि गूगल (भारत भेषज्य रत्नाकर अनुसार)आयुर्वेद में गोक्षुर मूत्र विरचक मतलब मूत्र के उत्सर्जन को बढ़ाने वाला बताया है । यह एक मूत्रल औषधि है ।गोक्षुर वात का शमन करता है । उत्सर्जन तंत्र और मुत्रवः संसथान पर कार्य करने वाली औषधि है । अनुभव और अनुपान भेद से कई रोगों में उपयोग किया जाता है !
Table of Contents
गोक्षुराड़ी गुग्गुलु के घटक द्रव्य-
- सोंठ १भाग
- काली मिर्च १भाग
- पीपल १भाग
- हरड़ १भाग
- बहेड़ा १भाग
- आंवला १भाग
- मुस्ता ७ भाग
- गूगल (शुद्ध किया हुआ)
टेबलेट के रूप में हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है । गोक्षुरादि गुग्गलू नाम से कई कंपनियां इस औषधि का निर्माण करती है ।
भावना-
गोक्षुर का काढ़ा (भारत भेषज्य रत्नाकर अनुसार) के अनुसार २८ भाग
गोक्षुरादि गुग्गुल का उपयोग –
- वैसे तो गूगल के बहुत सारे कार्य हैं परंतु गोखरू के साथ गूगल का योग विशेष रूप से मूत्रवह संस्थान के लिए आयुर्वेदाचार्य तथा आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है ।
- रुक रुक कर पेशाब आने की समस्या, पेशाब में जलन की समस्या में इसका उपयोग किया जाता है ।
- यूटीआई यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन के लिए भी उपयोग किया जाता है ।
- शोथ कहीं पर भी सूजन में भी भी इसका उपयोग किया जाता है ।
- पथरी के इलाज में आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा इस औषधि का प्रयोग निश्चित रूप से किया जाता है ।
- मधुमेह के रोगियों में भी गोक्षुरादि गुग्गुल का उपयोग किया जाता है ।
- वात रोगों में तथा वात रक्त में उपयोग किया जाता है!
मात्रा-
दो से 4 गोली दिन में दो से तीन बार आयुर्वेद विशेषज्ञ के निर्देशानुसार सेवन करें ।
अनुपान –
पुनर्नवासव , गरम पानी, दशमूलारिष्ट, चिकित्सक के निर्देशानुसार रोग के अनुरूप सेवन करवाया जाता है ।
सावधानी-
औषधि बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
सामान्य कमरे के तापमान पर सूखे स्थान पर रखें ।
चेतावनी- उपरोक्त समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है ।
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