चर्म रोग नाशक तेल

kanchan kumar
चर्म रोग नाशक तेल
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चर्म रोग नाशक तेल-आज हम ऐसे तेल के बारे में बात करेंगे जो चमड़ी के रोगों के लिए अत्यंत गुणकारी है । आज की जीवन शैली खानपान और रहन-सहन के कारण होने वाले विभिन्न प्रकार के चर्म रोगों में इसका प्रयोग फायदेमंद होगा । हर घर में किसी ने किसी को फंगस इंफेक्शन की वजह से अलग-अलग तरह के चर्म रोग की समस्या रहती है । आयुर्वेद में कई ऐसे औषधीय है जिनसे चर्म रोग नाशक तेल बनाया जाता है । अगर आपको यह आपके घर में किसी को यह समस्या है तो इस पोस्ट को अंत तक पढ़ें ।

चर्म रोग होने के कारण-

  1. साफ सफाई का ध्यान रखना ।
  2. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी ।
  3. विरुद्ध आहार विहार का सेवन ।
  4. जीवनशैली जनित रोग जैसे मधुमेह( डायबिटीज)
  5. जीवाणु या कवक का संक्रमण( फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन)
  6. फिरंग, उपदंश, सुजाक जैसे रोग के कारण ।
  7. तंबाकू का सेवन करने के कारण ।
  8. एलर्जी के कारण ।

चर्म रोग नाशक तेल के घटक द्रव्य-(स्वा .र अनुसार)

  1. नीम की छाल
  2. चिरायता
  3. हल्दी
  4. दारू हरिद्रा
  5. लाल चंदन
  6. हरीतकी( हरड़)
  7. विभितकी ( बहेड़ा)
  8. आमलकी( आंवला)
  9. अडूसा के पत्ते
  10. तिल का तेल
  11. पानी

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चर्म रोग नाशक तेल बनाने की विधि-

उपरोक्त घटक द्रव्य को बराबर मात्रा में ताजा लेकर कल्क ( कूट पीसकर लुगदी) बना ले । औषधियों की मात्रा से 4 गुना तिल का तेल और 4 गुना पानी मिलाकर हल्की आंच पर पकाएं । पानी जल जाने के बाद में उतारकर तुरंत छान ले । इस तेल का शरीर के बाहरी भाग पर प्रयोग कर सकते हैं । चेहरे के आसपास सावधानी से प्रयोग करें ।

चर्म रोग नाशक तेल के फायदे

  • सभी प्रकार के त्वचा रोगों में प्रयोग किया जाता है ।
  • खाज खुजली, चमड़ी फटना
  • चमड़ी का सूखा होना
  • चमड़ी पर होने वाली पूड़ी फुंसियों को दूर करता है ।
  • पुराने से पुराने त्वचा के रोगों में फायदा करता है ।

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सावधानी-

आंखों के पास में लगाने से बचें ।

बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।

सामान्य तापमान एवं सूखे स्थान पर स्टोर करें ।

केवल बाहरी भाग पर प्रयोग करें ।

चर्म रोगनाशक तेल

चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह लें ।

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